केंद्र को मिला 55% DA का तोहफा, पर राज्य कर्मचारी अभी भी क्यों हैं मायूस? जानें पूरी कहानी
महंगाई भत्ता (डीए) क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
डीए (डियरनेस अलाउंस) एक महंगाई भत्ता है जो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को मूल वेतन के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में दिया जाता है। इसका उद्देश्य महंगाई के कारण बढ़ती कीमतों की भरपाई करना है। डीए की गणना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर की जाती है और इसे समय-समय पर संशोधित किया जाता है।
डीए बढ़ोतरी का प्रभाव
- कर्मचारियों की क्रय शक्ति बढ़ती है
- पेंशनरों को महंगाई से राहत मिलती है
- अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ती है
- रिटायर्ड कर्मचारियों की जीवनशैली में सुधार होता है
केंद्र सरकार ने 2% डीए बढ़ाया, अब कुल 55%
केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए डीए में 2% की वृद्धि को मंजूरी दी है, जो 1 जनवरी 2025 से प्रभावी होगी। इसके साथ ही डीए 53% से बढ़कर 55% हो गया।
यह वृद्धि लगभग 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनरों को लाभान्वित करेगी।
केंद्र सरकार पर इसका वित्तीय भार लगभग ₹12,000 करोड़ सालाना पड़ेगा।
राज्य सरकारों पर दबाव
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद अब राज्य सरकारों से भी अपने कर्मचारियों के लिए डीए बढ़ाने की मांग तेज हो गई है। हालांकि, अधिकांश राज्यों की वित्तीय स्थिति केंद्र जितनी मजबूत नहीं है, जिसके कारण डीए वृद्धि में देरी हो रही है।
राज्यों में डीए बढ़ोतरी की स्थिति
1. राजस्थान: पहले ही बढ़ा दिया डीए
राजस्थान सरकार ने केंद्र के निर्णय के बाद तुरंत अपने कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए डीए बढ़ा दिया है। यहाँ अब कर्मचारियों को भी 55% डीए मिल रहा है।
2. उत्तर प्रदेश: अप्रैल में हो सकती है घोषणा
योगी आदित्यनाथ सरकार ने संकेत दिए हैं कि अप्रैल 2025 के बजट में डीए बढ़ाने की घोषणा की जा सकती है।
3. मध्य प्रदेश: 9 महीने से इंतजार
मध्य प्रदेश के लगभग 7.5 लाख कर्मचारियों और पेंशनरों को पिछले 9 महीनों से डीए वृद्धि का इंतजार है। वर्तमान में उन्हें केंद्र की तुलना में 5% कम डीए मिल रहा है।
4. बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्य
कई अन्य राज्यों में भी डीए बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है, लेकिन वित्तीय सीमाओं के कारण अभी कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है।
क्या है देरी का कारण?
राज्य सरकारें डीए बढ़ाने में इसलिए हिचकिचा रही हैं क्योंकि:
वित्तीय संकट: कई राज्यों की आर्थिक स्थिति कमजोर है।
राजस्व की कमी: GST और अन्य करों से अपेक्षित राजस्व नहीं मिल पा रहा।
चुनावी प्रभाव: कुछ राज्य चुनावी व्यय के कारण बड़े फैसले टाल रहे हैं।
केंद्र से अनुदान में देरी: कुछ राज्य केंद्रीय सहायता का इंतजार कर रहे हैं।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया और आंदोलन
कई राज्यों में कर्मचारी संघ डीए वृद्धि को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश में कर्मचारी संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया।
उत्तर प्रदेश में पेंशनर संघ ने सरकार को ज्ञापन दिया।
बिहार में कर्मचारियों ने हड़ताल की चेतावनी दी है।
निष्कर्ष: कब तक मिलेगा डीए का तोहफा?
केंद्र सरकार ने तो अपने कर्मचारियों को राहत दे दी है, लेकिन राज्यों के कर्मचारियों को अभी इंतजार करना पड़ सकता है। अनुमान है कि अप्रैल-मई 2025 तक अधिकांश राज्य डीए बढ़ाने का फैसला कर सकते हैं। हालांकि, वित्तीय स्थिति कमजोर होने के कारण कुछ राज्यों में यह प्रक्रिया और भी लंबी खिंच सकती है।
कर्मचारियों को सलाह है कि वे अपने संबंधित राज्य सरकारों और कर्मचारी संघों के साथ संपर्क में रहें ताकि किसी भी अपडेट की जानकारी तुरंत मिल सके।
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